शनिवार, 27 अक्तूबर 2007

सरकारी कर्मचारियों की प्रतिक्रिया

सरकार और उसके कर्मचारी किसी चीज को कृपा के तौर पर देने को तैयार रहते हैं न कि किसी हक या अधिकार के तौर पर। इसीलिए दस्तावेज देखने और स्थानीय स्तर पर हुए खर्चे की प्रतिलिपि हासिल करने की मांग पर दो समानांतर प्रतिक्रियाएं सामने आईं। एक प्रतिक्रिया निचले स्तर के कर्मचारियों की थी, जिनके गलत कामों के इस तरह सार्वजनिक करने से, पर्दाफाश होने की संभावना थी। लेकिन जो सीधे तौर पर प्रभावित नहीं थे उनकी भी नकारात्मक प्रतिक्रिया जल्दी ही सामने आई। शासन पर नियंत्रण की इस लड़ाई के लंबे सर्ंञ्ष में बदल जाने के पीछे सत्तारूढ़ लोगों को यह आशंका थी कि बिना जवाबदेही के शासन करने का उनका एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। भारत में लोकतांत्रिक ढांचे के कारण सरकार के लिए यह असंभव है कि वह सूचना की मांग का खुलेआम विरोध करे। लेकिन छल-कपट, देरी, दिखावटी आश्वासन जैसे तरीके इस आशा से अपनाए गए कि इस लंबी लड़ाई में लोग थक कर हार मान लेेंगे।
 

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